पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
Har zakhm kisi thokar ki meharbani hai… meri jindgi bus ak kahani hai… mita dete sanam k dard ko sine se… par ye dard hi uski akhri nishani hai.
Tumhara dukh hum seh nahi sakte Bhari mehfil mein kuch keh nahi sakte.. Hamare girte hue aansuo ko pad kar dekho.. Woh bhi kehte hai ke hum aapke bin reh nahi sakte
इसी तथ्य के संदर्भ में ग़ालिब कहते हैं कि चूँकि अल्लाह की ज़ात प्राचीन है इसलिए जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो उसकी ज़ात मौजूद थी और जब कोई हस्ती मौजूद न रहेगी तब भी अल्लाह की ही ज़ात मौजूद रहेगी और चूँकि मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान के नूर का एक हिस्सा हूँ और मुझे मेरे पैदा होने ने उस पूर्ण प्रकाश से जुदा कर दिया, इसलिए मेरा अस्तित्व मेरे लिए नुक़्सान की वजह है। यानी मेरे होने ने मुझे डुबोया कि मैं कुल से अंश बन गया। अगर मैं नहीं होता तो क्या होता यानी पूरा नूर होता।
खुद-ब-खुद शामिल हो गए तुम मेरी साँसों में,
Delhi, India Abide by Legendary Urdu poet occupying an area of pleasure in all over the world literature. Just about the most quotable poets acquiring couplets for nearly all cases of daily life
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
उसके साथ रहते रहते हमे चाहत सी हो गयी, उससे बात करते करते हमे आदत सी हो गयी, एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है, दोस्ती निभाते निभाते हमे मोहब्बत सी हो!
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आज का शब्द: अवतंस और सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की कविता- काम के छवि धाम
ज़िन्दगी तुम मेरी बन जाओ Shayari रब से और क्या माँगू,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ